सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

राम जी

जय जय राम गुन निधान
सकल काज पूरण करता
भय शोक, रोग, मोह , दुःख हरता
आस्था , श्रधा , भक्ति से जो कोई भजन कर्ता
जन्म मरण छुट जाता
भाव सागर पार कर्ता
सीता पवित्र हे राम प्यारी
घर में लक्ष्मी बरसे
शुख पावे नर नारी
भक्त हनुमान हे राम जी के दुलारे
पूरण करो सब काज हमारे

सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

maa

माँ की ममता का कोई मोल नही

माँ तो अनमोल दुनिया में माँ जेसा कोई और नही

हर दुःख को पीती हे

चुप वो रहती हे

और वो कुछ कहती नही

गिले में साडी रत जग कर

देख बच्चे का चेहरा हसता चेहरा

उदासी को अपने पास रखती नही

माँ तो अनमोल दुनिया में माँ जेसा कोई और नही

उस ममता का ख्याल तुम रखना

माँ तो भगवन हे

भगवन कोई और नही

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

कैसा मन्दिर

भगवन ये कैसा मन्दिर बनाया ,
कोई पुजारी नही सब व्यापारी नजर आए
धर्म के दलालों ने चारो तरफ अपना व्यापर लगाया
सब धर्मो का नारा दे कर , क्या खूब लोगो को बनाया
मन्दिर मस्जिद सब टूट गए, इन व्यापारियो का पोधा लहलाया
भगवन क्या खूब मन्दिर बनाया
जहा प्रतिमा अपने अस्तित्व के लिए संघर्स करती हे
वही बेसहारा अबला को लुटते हुवे पाया
आँखे निकल कर ले जाते हे प्रतिमा की
चारो तरफ इंसानी मांस के लोथाडो रक्त रंजित शव नजर आए
धर्म और उचे भासन देने वालो को बेटो के आगे सिस झुकए खड़ा पाया
इन माँहा धर्मी धर्म के ठेकेदारों को कोर्ट की सिडियो पर चढ़ते हुवे पाया
भगवन ये कैसा मन्दिर बनाया
हर चले के पीछे कोई ना कोई बदमास चहरा नजर आया

कैसा मन्दिर

भगवन ये कैसा मन्दिर बनाया ,

कोई पुजारी नही सब व्यापारी नजर आए

धर्म के दलालों

मातृ भूमि

यह ख़त उन शाहिदो के नाम
जो मातृ भूमि पर हो चले कुर्बान
जो हे अनाम रहे तकती निगाहे पथरा गई आखे ना आया उनका कोई पैगाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
बिकती हे उनकी कब्र होते हे उनके सोदे मैडल के
जिन्होंने बेच दी अपनी जान देश की हिफाजत के नाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
राहे तकती रह गई , बेटियों की डोली कब लगेगा कन्धा बाबुल का
सुनी रह गई रखिया बंधने को कलाइयों में सिंदूर ना सजा मांगो में , रोई बहुवे बंद कोठरियों में ,
चुप गया बादल खुशी का , अंधेरे में ना आता हे उनका कोई ख़त हमारे नाम
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
जो हे आज देश दे सरताज मर चुका हे उनका ईमान
सोदा करते हे मातृ भूमि का ये खुले आम
नही कर पाता कानून अपना काम ,
क्यो हे ये कानून के ठेकेदार
यह ख़त उन शाहिदो के नाम
यह खर उन शाहिदो हे नाम
जो मातृ भूमि पर हो चले कुर्बान
नमन उन शाहिदो का हेमंत का बारम्बार

बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

गर्व

अभी आपकी उम्र कितनी हे, बिलकुल आपको पता हे, एसा कोन हे जो आप पर गर्व करता हे आपने कभी सोचा नही सोचा तो अभी सोचो, कोन हे जो आप पर गर्व करता हे, क्या आपकी माँ , क्या आपके पिताजी, सोचो, क्या आपकी पत्नी , हे कोई जवाब बोलो , सोचा मिल गया क्या जवाब, नही मिला, क्यो नही मिला ,

चलो हार् गए क्या , कोई बात नही नीरस मत होना, हे जवाब इसका ,

आपका बेटा आप पर गर्व करता हे, जब कभी कोई दरवाजे पर आता हे तो, वह गर्व से कहता हे पापा ऑफिस गए हे हे , स्कूल में जब उससे पुचा जाता हे तो वह सबके सामने खड्डा होकर आपने पापा का नाम गर्व से बताता हे , इसलिए नीरस मत होना , आपने बेटे की नजरो में कभी मत गिरना , आज से ही एसी योजना बनाना की आपका बेटा आप पर गर्व करे
यह बात सत्य नही हे की आपकी मेरी बात पसंद आएगी हो सकता हे आप मेरी बात से सहमत नही हो फ़िर भी में आपको मेरी बात कहने जा रहा हु
कुछ दिन पहले विजय्दास्मी को मेरे एक मित्र का मेसेज आया उनोंहने मुझे कहा की भारत को आओ मिलकर हिंदू रास्त बनाये भारत को विश्व गुरु बनाये
आप भारत को कोनसा हिंदू रास्ट्र बनाना चाहते हे
पहले अपने मोहल्ले को तो अपना बना लो आपका मोहल्ला दो तीन गुटों में बता हुआ हे आप अपने मोहल्ले को तो आपना बना नही सके
मोहल्ले में जाति के नाम पर लड़ते हो , एक साथ पंगत में बेत कर खाना तो का नही सकते हो , आठेवे नंबर मकानमें कोन रहता हे पता नही चले देश को एक करने
आप के लडाई कभी छेत्रवाद को लेकर होती हे तो कभी जातिवाद को लेकर , कहा पर एक हो
मेसेज करना आसन हे
एक गरीब जिसे आप पिछाडा कहते हो जब कही दूर दिखाए दे जाता है तो कही न कही दबे मुख आपकी गली भी उसके लिए सुने दे जाति हे
वही गरीब जब आपनी शादी में कभी घोडे पर बताता हे तो उसे पुलिश की मदद लेनी पड़ती हे ,
और आप उसका गोलियों और पथरो से उसका स्वागत करते हो ,
किसको लेकर हिंदू रास्ट्र की बात करते हो,
गाव के गाव तो जला दिए जाते हे , कभी कभी तो एसा भी सुनने को मिलगा हे की एक साथ गोलिये से भुन दिया गया
पार्टियो भासन देने से भारत हिंदू रास्ट्र बनता तो १९४७ में ही बन जाता
मगर कभी आप तो सेत्रवाद को लेकर कभी जातिवाद को लेकर , तो कभी उत्तर दशीन को मसला तो कभी उत्तर प्रदेश , बिहार , राजस्थान तमिल का मुद्दा एन से तो दूर हटो
जब सरे रहा किसी को मारा जाता हे तो आप बच कर निकलने की सोचते हो , सड़क पर किसी घायल को देख कर रास्ता बदल लेते हो ,
जब एसी देसा देख कर मर जाति हे हिंदू रास्ट्र बनने के कामना ,
आप कई हिंदू rast

चुनाव

चुनाव की रंगत निराली

कुर्शी की महिमा हे बड़ी निराली

गिराने उठाने अपना मतलब साधने मै लगी पार्टिया सारी

जूठे दाव पेच मै उलझी जनता बेचारी

इन नेताओ ने खूब चली चल सायानी

खड़ोको भरवा दिया पानी पर सड़क को बनवा दिया

खम्बो पर तार टंगवा दिया दुर्घटना होने लगी भारी

चुनाव की रंगत निराली

जो पूर्णिमा के चाँद थे

वे बोलने लगे मुर्गे की बांग पायरी

चुनाव की रंगत निराली

वोट की खातिर करते ये करामत भारी