गुरुवार, 11 दिसंबर 2008

राम भजन

भजो राम राम भजो राम राम
दुख हरण, सुख करण है
सुंदर है ये नाम
पिता भक्त , माता के दुलारे मर्यादा पुरुषोतम है राम
भजो राम राम, भजो राम राम
पिता वचन की लाज की खातिर वन में पधारे राम राम
भाई प्रेम बस खडाऊ सिर धरण करे भरत है महान
भजो राम राम भजो राम राम ....

बेमिसाल

जूझता है मानव ,
निकलती है चिंगारी
बदते है कदम ,
तो मिलाती है डगर
पाई जीन्हाने मंजील
सफर उनके नही थे खामोश
जूनून सरफरोशी के बांधे
चलते चले ओढे तन पर कफन

बाबा की आँखे

उगते सूरज के साथ कंधे पर कुदाल डाले चल पड़ती है बाबा की आँखे
दिन भर सूरज की रोशनी में तपती है बाबा की आँखे
सर्द कपाने वाले मोसम में भी खेतो की मेडो पर भी
खुले बदन नही थकती है बाबा की आँखे
दिल में बस एक ही सपना सजाये म्हणत का दामन थामे
आगे बड़ती जाती है बाबा की आँखे
कभी बाड तो कभी सुखा , तो कभी पाला
अरमानो की होली जला जाता है, तब रोटी है बाबा की आँखे
मुझे अंगुली पकड़कर कर चलना सिखाया
हर कदम पर मुझे आगे बढाया, हर गम में भी मुस्करायी बाबा की आँखे
आज मेरे भाग्य से जुड़ी है बाबा की आँखे ...